'भावना भी एक विज्ञान है', इस विज्ञान को समझाना एवं स्वयं में भावनात्मक और गुणात्मक परिवर्तन कर के सभी में भावनात्मक परिवर्तन लाना हमारा उद्देश है | मानव के गुण उसके भाव हैं | वह अपनी इच्छाशक्ति से जो भाव छोड़ता है वह अवश्य पूर्ण होता है | मानव अपने अपराधिक और नकारात्मक भावों से प्रकृति मैं दुर्गंध छोड़ता है, मानव ऐसा ना करे, अच्छे भाव प्रकृति मैं छोडे जिससे प्रकृति मैं सुगंध ही सुगंध बहे, यही सूर्याश्रम का लक्ष्य है | इच्छाशक्ति और भाव के व्यावहारिक और वैज्ञानिक पक्ष को समझते हुए सभी के अन्तर मन में सुगन्धित भाव विकसित हों, उसके लिए मानव को प्रेरित करना यही हमारा संकल्प है |
अन्य जीवों की तरह मानव के जीवन धारण करने का भी एक उद्देश्य है - प्रकृति मैं अपनी सुगंध बिखेरना | अपने अच्छे भाव से वह प्रकृति और समाज का शोधन करके बिमारियों और कष्टों को मिटा सकता है | इच्छाशक्ति और भाव ही हमारा धन है | इच्छाशक्ति और भाव जो की अक्षुण्ण ऊर्जा है, उसे हम संचित कैसे करें ? कैसे बढाएं एवं सार्थक अर्थों में किस प्रकार खर्च करें, हमें सभी को यह समझाना है | सदभावों से लोगों को शक्तिशाली बनाना है, अधिक से अधिक लोग जब अच्छे भाव छोडेगें एवं सन्मार्ग पर चलेंगे और किसी के लिए बुरे भाव नहीं छोडेंगें तब वह युग शांति, सदभाव, समानता, संयम, उदारता एवं परस्पर भाईचारे का होगा और हमारा उद्देश्य सफल होगा |
मानव मस्तिष्क प्रकृति का सुपर कंप्यूटर है क्योंकि सबसे शक्तिशाली प्रकाश मन इसी के अन्दर क्रिया कर रहा है | इसे जगाने की सिर्फ एक आवश्यक शर्त है मन से शुद्ध विचार सोचें और मन को एक केन्द्र बिंदु पर रोक सके |