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हमारा आप सभी से अनुरोध है की प्रत्येक रविवार रात्रि ११.०० बजे अपनी-अपनी यथास्तिथि में हमारे साथ कुछ क्षणों के लिए ध्यान में अच्छे भाव छोडें, "प्राकृतिक आपदाओं से आहतों तथा प्राकृतिक असंतुलन के खतरों से प्राणिमात्र को बचाने के लिए" ताकि चतुर्दिक सुख और शांति फैले |
 
ध्यान में ब्रह्माण्ड की आवाज सत्य प्रकृति के लिए
मानव के अतिरिक्त अन्य जीव प्राणी भी भावनात्मक ऊर्जा छोड़ते हैं और अन्य जीव प्राणी को भावना देकर काम लिया जा सकता है | १८ जून १९९४      
व्यक्तिविशेष को प्रकृति अपने नियंत्रण में रखती है और उन्हें प्रकृतिमय कर के कार्य करवाती है | २५ जुन १९९४
भावना की विजय में सब से बड़ी विजय होती है | २८ जून १९९४
पहले अपने में विश्वास जगाओ अन्तिम विश्वास अपने आप मिल जायेगा | ३१ अक्टूबर १९९४
धर्म प्रकृति का वह योग है जिससे प्रकृति संचालित होती है |
हर तत्व से एक महत्वपूर्ण किरण निकलती है जो जीवन निर्माण में आवश्यक होती है | ३१ जनवरी १९९५
सूर्यप्रकाश के रुकने से शरीर का निर्माण होता है | जब शरीर मन की सोच से भावनात्मक ऊर्जा छोड़ता है तो उससे शरीर के अन्दर जीवाणु तैयार होता है | २ मई १९९५
 
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Mahatma Ashok Manav
Mahatma Shri Ashok Manav
Surya Ashram, Lucknow
 
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